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चौपाई नगर में बारात का लौटना / बिहुला कथा / अंगिका लोकगाथा

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होरे देखले से आवे हे चांदो हँसाई बसाई रे॥
होरे तोहे कहाँ जइबे रे छौड़ा समधी के पूत रे।
होरे तोहे लागल रे बनियाँ हंसाई बसाई रे॥
होरे सही तो फिरल दैवा हंसाई बसाई हे।

होरे हेमतबाड़ी डांग बनियाँ लेले बहिआय रे॥
होरे भागी गेल आवै रे दैबा हंसाई बसाईरे।
होरे बिलखी-बिलखी गे बिहुला कांदे तो लागली गे॥
होरे सहोदर भइया रे मोर सेहो नहीं साथ रे।
होरे एक कोस गेले रे डोलिया दुई कोस गेले रे॥
होरे तीन ही कोस रे छई चौपाई नगर रे।
होरे जाय तो जुमले रे चांदो बंगला ऊपर रे॥
होरे एतना देखिले गे सोनिका आनले बोलायगे।
होरे पांच एललाई गे सोनिका डोलिया साजले॥
होरे दुर्बाधान आनेगे सोनिका डलिया साजले हे।
होरे पान जे सुपारी सोनिका डलिया धर लेलेगे॥
होरे चौमुख दियरा गे सोनिका डलिया साजैलै हे।
होरे बेटवा पुतोहूँ गे सोनिका चललिचुमावे गे॥
होरे देखले से आबे रे बनियाँ चांदो सौदागर रे।
होरे हेमतबाड़ी डांगे रे बनियाँ देले बहिआये रे॥
होरे डलिया पढ़ाय गे सोनिका चलल पराये रे।
होरे कांदे लागली रे दैवा सोनिका साहुनी रे॥
होरे बेटा केर विवाह जे भेल पुतहुना चुमौलारे।
होरे नैना काखी आवेरें बनियाँ नहीं तोजुड़वोलर रे॥
होरे बोले तो लागल रे बनियाँ चांदो सौदागर रे।
होरे बैरन जे छउगे साहुनी मैना बिषहरी रे॥

होरे दुमरी चुमाये तो गे साहुनी करतऊ चोरी रे।
होरे बेटा पुतहु, जाय तो गे साहुनी पुतहु चुमायेगे
होरे आय हो जुमले रे चांदो लोहा बाँस घर रे।
होरे केवाड़ खोलि देले रे बनियाँ सौदागर रे॥
होरे जाही तोही आवे रे बाला दोहा बांस घर रे।
होरे चौका पहरा आवे रे बाला देबऊ बैठाए रे॥