छवो घाटी में बिहुला का जाना / बिहुला कथा / अंगिका लोकगाथा
होरे चली भइली आवेगे बिहुला छवो घाट पोखर हे।
होरे एक कोस गेली हे बिहुला दूगो कोस गेली हे॥
होरे तीसरे कोस गे बिहुला छवो घाटी पोखर हे।
होरे जाइतो जमली हे बिहुला छवो घाटी पोखरा हे॥
होरे पहले ही घाट गे बिहुला ठाढ़ी भये गेली हे।
होरे पूजल से घाट गे बिहुला नहीं जे नहावे गे॥
होरे दोसरी घाट गे बिहुला ठाढ़ी भये गेली हे।
होरे पूजल से घाट गे बिहुला नहीं नहावे गे॥
होरे तीसरी घाट गे बिरेला ठाढ़ी भये गेली रे।
होरे पूजले से घाटगे बिहुला नहीं जे नहावे गे॥
होरे चारो घाट आवेंगे बिहुला पुजले देवता गे।
होरे पांचम ही घाट गे बिहुला बूढ़ना बैठल रे॥
होरे छठमहूँ घाट गे बिहुला बैठी अरु गेली रे।
होरे ओरी घाट आवेगे बिहुला बैठी अरु गेली रे॥
होरे घाट जे पूजिये रे दैवा बिहुला सुन्दरी रे।
होरे देखे तमाशा रे बनियाँ चांदो सौदागर रे॥
होरे सखिया मिली गे बिहुला सलाह करेले गे।
होरे कपड़ा ओहार रे देके बन्दे असमान रे॥
होरे पानी के किनारे हे बिषहरी आए जो जुमल हे।
होरे सुमरे लगली हे माता पछिया कुमार हे हे॥
होरे पछिया कुमार रे दैवा बहल बतास रे।
होरे बोले तोके पानी आवेगे बिहुला बिषहरि रे॥
होरे बोले तो लागल हे माता मैना बिषहरी रे।
होरे बिनु अपराध गे छाड़ो लातीके पानी देलगे॥
होरे बिहाराति खबेगे बिहुला सिरका सिन्दूर रे।
होरे नारी रांडी होइहैं गे बिहुला कोहबर घरगे॥
होरे सत जो होतो में बिहुला स्वामी को जिलाइवेगे।
होरे बोले तो लागली रे दैवा बिहुला सुन्दरी गे॥
होरे सत से जिलाएवेके बुढ़िया सिर सिन्दूरवा गे।
होरे देखवै से सतगे बिहुला आजु तो तोहार गे॥
होरे पहिले डुबकी गे बिहुला आने अहिवात गे।
होरे तवेपति आहवोगे बिहुला स्वामी के जिमाएंगे॥
होरे बोले तो लगली रे दैबा बिहुला सुन्दरी रे।
होरे छवो तो महीना गे बुढ़िया जल में भसब रे॥
होरे देवी पूजा पाठ जायब स्वामी दान पायब रे।
होरे पुरबहा माथे गे बिहुला भये गेली ठाढ़ौरे॥
होरे प्रणाम जे करेले गे बिहुला उगन्त सूरज रे।
होरे पछमही माथे विहुल भये गेली ठाढ़ी रे॥
होरे प्रणाम ज करेले गे बिहुला देव करदल हे।
होरे चारो दिग बन्दे गे बिहुला डुबकी मारले गे॥
होरे काढू का देले हे माता मैना बिषहरी हे।
होरे काजर सिन्दूर बिहुला आनले अहिवात गे॥
होरे बोले तो लगली हे माता बिहुला जबाब।
होरे एहीसतजिहावे गे बिहुला सिरका सिंदूर हे॥
होरे बात खोली देले हे बिषहरी मैना बिषहरी हे।
होरे असधार देले हे माता मैना बिषहरी रे॥
होरे देखले से आवे रे बनियाँ मैना बिषहरी रे।
होरे हेमतवारी डागरे बनियाँ लेशु बहिआए रे॥
होरे भागी गेली आवे माता मैना बिषहरी रे।
होरे छवो घाट नहायेगे बिहुला से आवास के जागे गे॥
होरे पीछे तो लागेरे बनियाँ चांदो सौदागर रे।
होरे पूछे तो लागल बनियाँ बिहुला से आवे रे॥
होरे कौने राजाकेवेटो गे धिया तोहेबरु छोकी गे।
होरे बोले तो लगली हे सखी सब देले जबाब हे॥
होरे बासू सौदागर बेधी जेछी के बिहुला सुन्दरी रे।
होरे जातीके बनियाँ जे छीक बासु सौदागर रे॥
होरे गीत झूमर गाए-गाए केगे बिहुला चलली बरुआयरे।
होरे पीछे-पीछे आवे रे बनियाँ चांदो सौदागर रे॥
नोट: जब चांदो बासू सौदागर के घर पहुंच गया तो बातचीत के बाद चांदो के खाने का प्रबंध हुआ। चांदो ने कहा कि मैं आपके यहाँ भोजन तभी करूंगा जब मेरी दी हुई दाल बनेगी बासू की पत्नी कलाई को सिझाते-सिझाते परेशान हो गई. लेकिन लोहे की कलाई नहीं सीझी। जब बिहुला ने सुना तो वह आयी और अपने सत को सुमर कर कलाई सिझा दिया और चांदो ने भोज किया सो कैसे पढ़िये।
होरे पहुंचली आवे गे बिहुला जे जाय रे।
होरे सोनहार घर गे बिहुला सुतली जे आयरे॥
होरे आए तो जुमल रे चाँदो बासुकेर आवासरे।
होरे बासू-बासू करी रे बनियाँ पुकारे लागल रे॥
होरे साहु का जवाब जे सुनु बासू सौदागर रे।
होरे एक हाथे लेले हे बासू सिंहासन पाट रे॥
होरे दोसरही हाथ रे बनियाँ झारी भरी जल रे।
होरे आगे तो जुमल रे बनियाँ बंगला ऊपर रे॥
होरे गोड़े धोंहु पाट के बासू चाँदो सौदागर हे।
होरे कहा सत आवे हे साहु कुशल समाद हे॥
होरे तबे गोड़ धोएबे हे साहु बात जे रखबे हे।
होरे हमरे बेटा से हे साहु तोर बेटी शुभ होए हे॥
होरे तवे तो बैठल हे साहू तोहार आवास हे।
होरे कंड चढ़ी बैठली हे माता मैना विषहरी हे॥
होरे बोले तो लगली हे सासू चांदो से जवाब हे।
होरे तोहरे बचन हे साहु राखल प्रमाण हे॥
होरे बैठी अरु गेल हो चांदी सिंहासन पाट रे।
होरे ब्राह्मण मंगवायब हे बासू दिन गे गनायब हे॥
होरे ब्राह्मण के रूप हे देवी देले दरशनवा हे।
होरे दिन जे गुनायब हे बनिया आवे सौदागर रे॥
होरे शुक्र के वरतुही हे भेल शनि पुनि के मांडव हे।
होरे रवि के विवाह जे भेल हरि के समदन हे॥
होरे एतना सुनिये रे बासू मानिका पास गेल रे।
होरे कहबे लागल हे बासू मानिको से आने हे॥
होरे चांदो सौदागर हे साहुनी आएले दुआरी हे।
होरे बेटी आपन रे बेटी से शुभज आही छई हे॥
होरे हमे हामी देलागे साहुनी चांदो सौदागर हे।
होरे तोहकी कहबे हे साहुनी कहन बुझाए हे॥
होरे वाहा नामे आवेगे मनिको रोदना पसार रे।
होरे बड़ गरबी जै छहूँ चांदो सौदागर रे।
होरे तोहरे कहल गे मनिको रसाउ जे आवे हे॥
होरे करबे तैयार गे मनिको रसाउ जे आवे हे।
होरे तो रसोई हे मनिको बतीसो तरकारी हे॥
होरे रसोई करिया हे मनिको साहु से कहले हे।
होरे अनबै से आवे हे साहु चांदो के बोलायब हे॥
होरे इतना सुनिये रे बासु चांदो पास गेल हे।
होरे चलहुं-चलहुं हे चाँदो रसोई जेमाए हे।
होरे बोले तो लागल रे दैबा चांदो सौदागर रे।
होरे बिना कलाई के दाल हे बासु हमनाजेकरबहे।
होरे पगड़ी से खोलले रे चांदो लोहाका कलाई रे॥
होरे पांच तो कलाई रे बासु दाल जे करहूँ हे।
होरे ऐहो कलाई हे बासु दाल जे करहु हे॥
होरे तवे तो जीमब हो साहु तोहरे आवास हे।
होरे झखी तपी लेले रे बनियंा लोहा का कलाई रे॥
होरे कलाई सोपले रे बनियाँ मनिको के हाथ रे।
होरे कलाई देखी रे मनिको मन पछताय रे॥
होरे सिंझावे लगली हे मनिको लोहा का कलाई.
होरे कलाई न सीझेगे मनिको रोदना करेले हे॥
होरे सुनली छलि रे बिहुला सुन्दरी घर गे।
होरे माई का रोवन सुनि उठली चिहाय रे॥
होरे आये तो जुमली गे बिहुला माइकेर पासगे।
होरे पूछै तो लगली गे बिहुला अम्मा से आवेगे॥
होरे किये दुख परलीगे अम्मा किये तो विपत्तिगे।
होरे बोले तो लगली रे दैबा मनिको साहुनि रे॥
होरे लोहा के कलाईगे बिहुला दालन देलके गे।
होरे सेहो तो कलाई गे बिहुला नहीं तो सिझायेगे॥
होरे बोले तो लगली रे दैबा बिहुला सुन्दरी गे।
होरे यही तो कलाई गे माता हमही सिंझायबगे॥