भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जानत नहिं लगि मैं / बिहारी

Kavita Kosh से
(जानत नहिं लगि मैं से पुनर्निर्देशित)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जानत नहिं लगि मैं मानिहौं बिलगि कहै
तुम तौ बधात ही तै वहै नाँध नाध्यौ है।
लीजिये न छेहु निरगुन सौं न होइ नेहु
परबस देहु गेहु ये ही सुख साँध्यौ है।
गोकुल के लोग पैं गुपाल न बिसार्यौ जाइ
रावरे कहे तौ क्यौं हूँ जोगो काँध काँध्यौ है।
कीजिए न रारि ऊधौ देखिये विचारि काहु
हीरा छोड़ि डारि कै कसीरा गाँठि बाँध्यौ है।।