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बरसात में हमसे मिले तुम सजन / शैलेन्द्र

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बरसात में हमसे मिले तुम सजन तुमसे मिले हम
बरसात में ...

प्रीत ने सिंगार किया, मैं बनी दुल्हन
सपनों की रिमझिम में, नाच उठा मन
मेरा नाच उठा मन
आज मैं तुम्हारी हुई तुम मेरे सनम
तुम मेरे सनम
बरसात में ...

नैनों से झांकी जो, मेरी मस्त जवानी
दुनिया से कहती फिरे, दिल की कहानी
मेरे दिल की कहानी
उनकी जो हूँ मैं उनसे कैसी शरम
बरसात में ...

ये समाँ है जा रहे हो, कैसे मनाऊँ
मैं तुम्हारी राह में ये, नैन बिछाऊँ
मैं नैन बिछाऊँ
तुम ना जाओ तुमको मेरी जान की क़सम
बरसात में ...

देर ना करना कहीं ये, आस छूट जाये
साँस टूट जाये
तुम ना आओ दिल की लगी, मुझको ही जलाये
ख़ाक़ में मिलाये
आग़ की लपटों में पुकारे ये मेरा मन
मिल ना सके हाय मिल ना सके हम
बरसात में ...