भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जीवन की कर्मभूमि / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
Kavita Kosh से
(जीवन की कर्मभूमि /रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ से पुनर्निर्देशित)
1
जीवन की इस कर्मभूमि में,
ठीक नहीं है बैठे रहना।
बहुत ज़रूरी है जीवन में
सबकी सुनना, अपनी कहना।
2
सुख जो पाए हम मुस्काए,
आँसू आए उनको सहना।
रुककर पानी सड़ जाता है,
नदी सरीखे निशदिन बहना
3
सपना ही सही ,सजाए रखिए
ज़िन्दगी का भ्रम बनाए रखिए
हसरतें हज़ार हैं, ज़िन्दगी है
कुछ तो उम्मीद बचाए रखिए ।