विनयावली / तुलसीदास / पद 31 से 40 तक / पृष्ठ 4
पद 37 से 38 तक
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लाल लाड़िले लखन, हित हौ जनके।
सुमिरे संकटहारी, सकल सुमंगलकारी,
पालक कृपालु अपने पनके।1।
धरनी-धरनहार भंजन-भुवनभार,
अवतार साहसी सहसफनके।।
सत्यसंध, सत्यब्रत, परम धरमरत,
निरमल करम बचन अरू मनके।2।
रूपके निधान, धनु-बान पानि,
तून कटि, महाबीर बिदित, जितैया बड़े रनके।।
सेवक-सुख-दायक, सबल, सब लायक,
गायक जानकीनाथ गुनगनके।3।
भावते भरतके, सुमित्रा-सीताके दुलारे,
चातक चतुर राम स्याम घनके।।
बल्लभ उरमिलाके, सुलभ सनेहबस,
धनी धन तुलसीसे निरधनके।4।
(38)
(38),
जयति
लक्ष्मणानंद भगवंत भूधर, भुजग-
राज, भुवनेश, भूभारहारी।
प्रलय-पावक-महाज्वालमाला-वमन,
शमन-संताप लीलावतारी।1।
जयति दाशरथि, समर-समरथ, सुमित्रा-
सुवन,शत्रुसूदन, राम-भरत-बंधो।
चारू-चंपक-वरन, वसन-भूषन-धरन,
दिव्यतर, भव्य, लावण्य-सिंधों।2।
जयति गाधेय-गौतम -जनक-सुख-जनक,
विश्व-कंटक-कुटिल-कोटि-हंता।
वरन-चय-चातुरी-परशुधर-गरबहर,
सर्वदा रामभद्रानुगंता।3।
जयति सीतेश-सेवासरस, बिषयरस-
निरस, निरूपाधि धुरधर्मधारी।
विपुलबलमूल, शार्दूलविक्रम, जलद-
नाद-मर्दन, महावीर भारी।4।
जयति संग्राम-सागर-भयंकर-तरन,
रामहित-करण वरबाहु-सेतू।
उर्मिला-रवन, कल्याण-मंगल-भवन,
दासतुलसी-दोष-दवन-हेतु।5।