मनीऑर्डर / अनूप सेठी
1.
मनीआडर पर हैं आखर मुड़े तुड़े
डाकखाने में जमा करवाए जो नोट
वे और भी मुड़े तुड़े
जोड़ जोड़ कर लिखा नाम पता
जोड़ जोड़ कर भेजे नोट
पसीने से भीगे नोट गए डाकखाने के गल्ले में
बच रहा पसीना मनीआडर फार्म ने सोखा
जिन हाथों में पहुँचेगी मनीआडर फार्म की पर्ची दस दिन बाद
उनके पसीने में घुलमिल जाएगा
पर्ची में रचा हुआ पसीना
नाम पते के मुड़े तुड़े आखर बोलेंगे कम
घर भर में चहक भरेंगे नोट कुछ ज्यादा
ताक पर सजी फोटो के पीछे
पर्चियों की थब्बी पर जा विराजेगी पर्ची
जब जब दरवाजा खुलेगा
रोशन हवा के झोंके से
दूर देस से आई पर्ची पँख फड़फड़ाएगी
नोटों में सोखने की ताकत जबर्दस्त है
हजारों मील का सफर तय करके
जाने किस किस का पसीना पी जाएंगे
हवा तक नहीं लगने देंगे
उड़न छू हो जाएंगे देखते देखते
उड़न छू हो जाएंगे महीने के भी दिन देखते देखते
ताक पर रखी फोटो के पीछे रखी
पर्चियों की थब्बी पर उड़-उड़ कर ठहरेगी
घर भर की नजर
जाने कहाँ-कहाँ लगेगी
महीने के पहले हफ्ते में
डाकखाने की मनीआडर खिड़की पर लंबी लाइन
पसीने से भीगी पर्ची
हर बार पँख फड़फड़ाती आएगी
घर घर में ताक पर अपने घोंसले में दुबक जाएगी
2.
मनीआडर फार्म और साथ में भेजे नोटों के साथ
गया पसीना पहुंचा अपने देस
डाकखाने के गल्ले में रह गया थोड़ा
दफ्तर की सीलन भरी गंध में घुलता
नए नए आए पुराने पड़ गए कंप्यूटर की छाती में जमता
ठकाठक ठुकती मोहरों को नम करता
नमी चमक देती
चमकीली नम मेहनतकश
पसीने की सनद
खिड़की की चौखट भी सोखती है पसीना कुछ
चमक और चिकनाई यहां भी है
इसी खिड़की पर एक बूढ़ा आता है
अनाथाश्रम का मनीआडर लेकर
नर्म मुलायम चौखट सहारा देती है
सांस सम पर आती है
बोझा कुछ कम होता है मानो हर माह
कभी कभार उजले कपड़ों में एक बाबू
किसी लघु पत्रिका के सँपादक को चँदा भेजता है
सायास लापरवाही से लाइन में खड़ा
पत्रिका और संपादक के नामों के हिज्जे ठीक करवाता है
उसके फार्म और झोले में उबले हुए पानी की बेजान महक है
वैसे कतरनें सँदर्भ और विचार भी बहुत हैं
कागज के परिंदे हैं
उड़ानें बहुत ऊँची हैं
किस पते पर पहुँचना है
यही नहीं है पता
(2000)