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मेरे सीने से ले गई, मेरा दिल निकाल के / तारा सिंह

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मेरे सीने से ले गई, मेरा दिल निकाल के
कह गई, रखूँगी मैं इसे सँभाल के

सागरे- मैखाना- ए- नैरंग है यह, मैं
पीऊँगी इसमें मुहब्बत ढाल-ढाल के

जिस्मे-गिली में बोझ है,यह सोचकर
मैंने भी दे दिया उसे उछाल के

होती है इसी से कजा-ओ-कदर, मुर्गरूह की
खुदा ने क्या चीज बनाई, कमाल के

किस पर्दे में तू छुपकर बैठा है, ऐ खुदा
दुनिया माँगे जवाब तुझसे, इस सवाल के