भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मैं तथा मैं (अधूरी तथा कुछ पूरी कविताएँ) - 5 / नवीन सागर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जो है उसके अलावा
जो मैंने देखा
वह कहाँ है जो था नहीं
मैं देखता हूँ तो कौन देखता है
जो है नहीं!

जो है उसके अलावा
जो है
वह मेरे अलावा कहाँ है!

मैं एक दिन बाहर
निकलकर पूरे संसार में उसे
देखता हुआ याद आऊंगा!