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गाँव के बच्चे / हरेराम बाजपेयी 'आश'

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गांव के बच्चे
भोले बच्चे,
सीधे बच्चे
सच्चे बच्चे।
सोकर जल्दी उठते बच्चे,
नाम प्रभु का जपते बच्चे,
टूथ ब्रशों से दूर ये बच्चे
दातून नीम कि करते बच्चे।
मटमैले-कजरारे बच्चे,
मात-पिता के तारे बच्चे,
खेल-खिलौने जैसे बच्चे
भोले और सलोने बच्चे। गांव के...

संग अभावों के जीते बच्चे,
सुविधाओं से रीते बच्चे
आधे तन से ढँके ये बच्चे,
पूरे मन से पके ये बच्चे। गांव के...

पढ़ने कि अभिलाषा लेकर
विद्यालय कुछ जाते बच्चे,
कितना पढ़ पाते ये बच्चे,
यह तो बस जाने हैं बच्चे। गांव के...

हैप्पी न्यू ईयर क्या होता,
नहीं जानते गांव के बच्चे
होली-राखी और दीवाली,
खुशियाँ सहित मनाते बच्चे,
बात बड़ों की माने बच्चे,
लाग लपेट न जाने बच्चे,
कोई नहीं पराया इनका,
सबको अपना जाने बच्चे

गांव के बच्चे
भोले बच्चे, सीधे बच्चे।