भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सर्दी नैनीताल गयी / ज्ञान प्रकाश आकुल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लंबी छुट्टी लेकर सर्दी नैनीताल गयी।

अपने साथ ले गयी गेंदा दुपहरिया के फूल,
उसे भेजने गये दूर तक सिंघड़ी लदे बबूल ।
गर्वीले टेसू की सारी ठसक निकाल गयी।

सूरज को दे गयी दिवस भर तपने का अधिकार,
कोयल से कह गयी गीत गाने हैं अबकी बार।
जाते जाते गेंहूँ में भी दाने डाल गयी।

सूरज अत्याचारी निकला उड़ा ले गया नीर,
कोयल के गीतों की निकली बड़ी गरम तासीर ।
मुड़कर इधर न देखा जब से वह ननिहाल गयी।