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विषहरी का जाना महादेव के पास / बिहुला कथा / अंगिका लोकगाथा

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होरे अन्धा धुन्ध करली हे माता चलली बरु जागे हे।
होरे नजर पड़लो हे महादेव भागल जे जाय हे॥
होरे बसडा चढ़िये हे महादेव भागल जे जाय हे।
होरे नजर परलो हे बिषहरी पांचो जे बहिनी हे॥

होरे भागी चललो गे बहिनी भोला महादेव हे।
होरे दौड़ी के आवे हे माता वसहा छेकले हे॥
होरे बोले तो लगली हे देवी महादेव से जवाब हे।
होरे सुनबे-सुनबे बाबा अरज हमार हे॥
होरे महादेव के पास हे माता रोदना पसारे हे।
होरे देवी के रोदन के दैवा भोला महादेव हे॥
होरे कौने तो कारण हे बिषहरी रोदना पसारे हे।
होरे से होतो बचन धीया कहबे बुझाये गे॥
होरे किये मैं कहब हे बाबा कहलो नहीं जाय।
सत तो करबे हे बाबा तब तो कहब हे॥
होरे जालगी आवे हो बाबा हम ना कहबो हे।
होरे सत तो करिये हे देवता ईश्वर महादेव हे॥
होरे सत से वेसत हे बिषहरी हम ना होइबे हे।
होरे सत तो करिये हे बिषहरी दान तो मांगगे हे॥
होरे चारो तो नक्षत्र हो बाबा दान तो मांगगे हे।
होरे नागा मनियार हे महादेव दानमोरा देहो हे॥
होरे निदकेरपुड़िया हे महादेव देवी के सौंपल हे।
होरे चाहो तोह आवे हे बिषहरी धौलागिर पर्वत हे॥