भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सौंह कियें ढरकौहे से नैन / बिहारी
Kavita Kosh से
(सौंह कियें ढरकौहे से नैन से पुनर्निर्देशित)
सौंह कियें ढरकौहे से नैन, टकी न टटै हिलकी हलियै।
मुँह आगै हू आये न सूझयौ कछू ,सु कहयौ कछु ये सुति साँभल ए।
भौर ते साँझि भई न अजौं, घरि भतिर बाहर कौ ढलिए।
रहे गेह की देहरी ठाढ़े दोऊ, उर लागी दुहून चलौ चलिए।।