भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गोकुल की गैल-गैल गोप ग्वालिन कौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
Kavita Kosh से
(८-गोकुल की गैल-गैल गोप ग्वालिन कौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ से पुनर्निर्देशित)
गोकुल की गैल-गैल गोप ग्वालिन कौ,
गोरस के काज लाज-बस कै बहाइबौ ।
कहैं रतनाकर रिझाइबो नवेलिनि कौं,
गाइबौ गवाइबौ औ नाचिबौ नचाइबौ ॥
कीबौं स्रमहार मनुहार कै बिबिध विधि,
मोहिनी मृदुल मंजु बाँसुरी बजाइबौ ।
ऊधौ सुख-संपति-समाज ब्रज-मंडल के,
भूलैं हूँ न भूलै, भूलैं हमकौं भुलाइबौ ॥8॥