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14 / हीर / वारिस शाह

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रांझा जौतरा वाह के थक रिहा लाह अरलियां छाउं नूं आंवदा ए
भता आन के भाबी ने कोल धरया हाल आपना रो विखांवदा ए
छाले पये ते हथ ते पैर फुटे सानूं वाही दा कम ना आंवदा ए
भाबी आखया लाडला बाप दा सैं अते खरा प्यारड़ा माउंदा ए

शब्दार्थ
<references/>