339 / हीर / वारिस शाह
असां जादूड़े घोलके सभ पीते करां बाबरे जादूआं मालयां नूं
राजे भोज<ref>साहित्य का रक्षक</ref> जेहे कीते चा घोड़े नहीं जानदा साडयां चालयां नूं
सिर कप रसालू<ref>राजा</ref> नूं वखत पाया घर मकर<ref>फरेब</ref> होया सीता वासते भेद वखालयां नूं
रावन लंक लुटायके गिरद<ref>मर गया</ref> होया सीता वासते भेद वखालयां नूं
सके भाइयां नूं करन नफर<ref>नौकर</ref> राजे अते राज बहांवदे सालयां नूं
यूसफ बंद<ref>कैद</ref> विच पा जहीर<ref>दुःखी</ref> कीता ससी बखत पाया ऊठां वालयां नूं
रांझा चार के मही फकीर होया हीर मिली जे खेड़यां सालयां नूं
रोडा<ref>एक फकीर</ref> वढ के डकरे नदी पाया तूं जलाली<ref>एक लड़की का नाम जिसको रोडे के साथ इशक था</ref> दे देख लै चालयां नूं
फोगू उमर<ref>सिंध का एक अमीर जो अरबी नसल का था। जब ढोला मारवण को लेकर जा रहा था तब रास्ते में इस अमीर ने मारवण को छीनने की कोशिश की।</ref> बादशाह खुआर होया मिली मारवन<ref>मारवण के इशारे पर ढोले ने अपना ऊंट दौड़ा लिया था और रानी को ाबचा कर ले गया था</ref> ढोल दे रालयां नूं
वली वलम बउर<ref>नबी इस्माइल में से एक वली का नाम</ref> ईमान दिता देख डोबया बंदगी वालयां नूं
महींवाल ते सोहणी रहे ऐवें होर पुछ लै इशक दे चालयां नूं
अठारां खूहनी कटक<ref>फौज</ref> लड़ मोए पांडो डोबडाब के खूनियां गालयां नूं
रन्नां सचयां नूं करन चा झूठे मकर नाल विछा निहालयां नूं
वारस शाह तूं जोगिया कौन हुणे ओड़क भरेंगा साडयां हालयां नूं