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344 / हीर / वारिस शाह

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रब्ब जेड ना कोई है जग दाता जिमीं जेड ना किसे दी साबरी वे
मझी जेड ना किसे दे होन जेरे राज हिंद पंजाब ना बाबरी<ref>बाबर का राज</ref> वे
चंद जेड ना चलाकां<ref>सैलानी</ref> न सद कोई हुकम जेड ना किसे दी काबरी वे
बुरा कसब ना नौकरी जेड कोई याद हक दे जेड अकाबरी<ref>वडियाई</ref> वे
मौत जेड ना होर है सखत कोई ओथे किसे दी नहियों नाबरी<ref>नहीं</ref> वे
रन्न वेखनी ऐब फकीर ताई भूत वांग सिरां उते बाबरी वे
वारस शाह शैतान दे अमल तेरे दाढ़ी हो गई शेख़ दी झाबड़ी<ref>परदा</ref> वे

शब्दार्थ
<references/>