भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
3 / हीर / वारिस शाह
Kavita Kosh से
चारे यार रसूल दे चार गौहर<ref>मोती</ref> सभे इक थीं इक चड़हंदड़े ने
अबू बकर ते उमर, उसमान, अली आपो आपणे गुणीं सोहंदड़े ने
जिना सिदक यकीन तहिकीक कीता राह रब्ब दे सीस विकंदड़े ने
शोक सिदक यकीन तहिकीक कीता वाह वाह ओह रब्ब दे बंदड़े ने
शब्दार्थ
<references/>