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406 / हीर / वारिस शाह

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जोगी गजब दे सिरे ते सट खपर पकड़ उठया मारके छोड़या ई
लै के फाबड़ी घुलन तयार होया मार वेहड़े दे विच अपौड़िया ई
साड़ बालके जिऊ मूंखाक कीता नाल कावड़ां<ref>गुस्सा</ref> दे जट कौड़िया ई
जेहा महर दे हथ दा बान-भुचर<ref>मोटा-पला हुआ कुत्ता</ref> वारस शाह फकीर ते दौड़िया ई

शब्दार्थ
<references/>