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425 / हीर / वारिस शाह

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सहती सने लौंडी<ref>नौकर</ref> हथ पकड़ मोहली जैंदे नाल छडें़दियां चावले नूं
गिरद आन होई वांग जोगनां देखूब फंड चाढ़ी ओस रावले नूं
खपर सेलियां तोड़के गिरद होईयां ढाह घतयो ने सोहने सावले नूं
अंदर वाड़के हीर नूं मार कुंडा बाहर कुटयो खूब लटवावले नूं
घड़ी घड़ी नालों इको मार मारी उन्हां तकयासी इस लावले नूं
वारस शाह मियां नाल मुहलयां दे ठडा कितो ने कस उतावले नूं

शब्दार्थ
<references/>