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528 / हीर / वारिस शाह

सैदें मार बुकल पचाड़की<ref>रेबदार चादर</ref> बधी जुती झाड़के डांग लै कड़कया ए
वाहो दाह चलया खड़ी बांह करके वांग कटकूं<ref>धाड़वी</ref> माल ते सरकया ए
काले बाग विच जोगी दे जा वड़या वेखके जट नूं तड़कया ए
खड़ा हो माही मुंढे खान आवे नाल भांवड़े शोर कर मड़कया ए
सैंदा संग के खड़ा थर थर कंबे उसदा अंदरों कालजा धड़कया ए
चली रब्ब दे वासते जोगिया ओए खार विच कलेजे दे अड़कया ए
जोगी पुछया कीह बनी तैनूं एस हाल आवे जट बड़कया ए
जटी वड़ी कपाह विच बन्ह झोली काला नाग अजगैब<ref>अनदेखा</ref> दा लड़गया ए
वारस शाह जो रन्नां आ जमा होईयां सप झाड़ बूटे किते बड़गया ए

शब्दार्थ
<references/>