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580 / हीर / वारिस शाह

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रांझे जायके घरी अराम कीता गंढीं-फेरियां<ref>विवाह की भाजी</ref> सू विच भाइयां दे
सारा कोड़मा आयके गिरद होया बैठा पंच हो विच भरजाइयां दे
चलो भाईयो वयाह के हीर लयाईए सयाल लई हुनाल दुआइयां दे
जंज जोड़ के रांझे ने तैयार कीती टमक चा बधो मगर नाइयां दे
बाजे दखनी धरगां<ref>ढोलक</ref> दे नाल वजन लख संग छटन सिर नाइयां दे
वारस शाह विसाह की जिंदगी दा बंद बकरा दसत<ref>हाथ में</ref> कसाइयां दे

शब्दार्थ
<references/>