Last modified on 31 मार्च 2017, at 10:30

70 / हीर / वारिस शाह

हीर जाय के आखदी बाबला वे तेरे नाम तों घोल घुमाइयां मैं
जिस अपने राज दे हुकम अंदर सांदल बार दे विच खिडाइयां मैं
लासां पट दियां पाए के बाग काले पींघां शौक के नाल पिंघाइयां मैं
मेरी जान बाबल जीवे ढोल रांझा माही महीं दा ढूंड लिआइया मैं

शब्दार्थ
<references/>