पुनि पुनि सीय गोद करि लेहीं / भजन

पुनि पुनि सीय गोद करि लेहीं ।
देइ असीस सिखावनु देहीं ॥

होएहु संतत पियहि पिआरी ।
चिरु अहिबात असीस हमारी ॥

सासु ससुर गुर सेवा करेहू ।
पति रुख लखि आयसु अनुसरेहू ॥

बहुरि बहुरि भेटहिं महतारीं ।
कहहिं बिरंचि रचीं कत नारीं ॥

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