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"ग़म-ए-फ़ुर्क़त की लौ हर लम्हें मद्धम होती जाती है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’" के लिये जानकारी

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प्रदर्शित शीर्षकग़म-ए-फ़ुर्क़त की लौ हर लम्हें मद्धम होती जाती है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
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पृष्ठ निर्माण तिथि10:58, 1 जून 2014
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