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"सुनिए थानेदार / विष्णुकांत पांडेय" के अवतरणों में अंतर

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सुनिए थानेदार,
 
सुनिए थानेदार,
 
घर में चोर घुसे हैं, बाहर
 
घर में चोर घुसे हैं, बाहर
सोया पहरेदार!
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सोया पहरेदार !
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मेरे मालिक डर के मारे,
 
मेरे मालिक डर के मारे,
 
छिप बैठे चुपचाप,
 
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मुझको भी अब डर लगता है
 
मुझको भी अब डर लगता है
जल्दी आएँ आप!
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जल्दी आएँ आप !
 
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17:01, 9 जून 2024 के समय का अवतरण

फोन उठाकर कुत्ता बोला —
सुनिए थानेदार,
घर में चोर घुसे हैं, बाहर
सोया पहरेदार !

मेरे मालिक डर के मारे,
छिप बैठे चुपचाप,
मुझको भी अब डर लगता है
जल्दी आएँ आप !