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"जीवन वृत्तांत / अष्‍टभुजा शुक्‍ल" के अवतरणों में अंतर

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उठाया ही था पहला कौर
 
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पहँचा ही था खेत में पानी
 
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कि छप्पर में आग लगी, बिटिया चिल्लानी
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कि ढोलकिया के अनुसार फूट गया ढोल
 
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घी का था बर्तन और गोबर की घानी
 
घी का था बर्तन और गोबर की घानी
 
 
चाय जैसा पानी पिया, चाय जैसा पानी
 
चाय जैसा पानी पिया, चाय जैसा पानी
 
 
  
 
मित्रों ने मेहनत से बनाई ऐसी छवि
 
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चटक और दबावदार कविता का कवि
 
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एक हाथ जोड़ा तो टूट गया डेढ़ हाथ
 
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यही सारा जीवन वृत्तान्त रहा दीनानाथ !
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18:25, 27 जून 2024 के समय का अवतरण

उठाया ही था पहला कौर
कि पगहा तुड़ाकर भैंस भागी कहीं और

पहँचा ही था खेत में पानी
कि छप्पर में आग लगी, बिटिया चिल्लानी

आरम्भ ही किया था गीत का बोल
कि ढोलकिया के अनुसार फूट गया ढोल

घी का था बर्तन और गोबर की घानी
चाय जैसा पानी पिया, चाय जैसा पानी

मित्रों ने मेहनत से बनाई ऐसी छवि
चटक और दबावदार कविता का कवि

एक हाथ जोड़ा तो टूट गया डेढ़ हाथ
यही सारा जीवन वृत्तान्त रहा दीनानाथ !