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"भरे-भरे बस्ते / सुरजीत पातर / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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भरे-भरे बस्ते
 
भरे-भरे बस्ते

13:59, 13 जुलाई 2024 के समय का अवतरण

भरे-भरे बस्ते
लम्बे-लम्बे रस्ते
घुटने थक गए हैं
कन्धे दुखने लगे
क्या हम हैं गधे ?

टीचर जी आएँगे
आके हुक़्म सुनाएँगे
चलो किताबें खोलो
पीछे-पीछे बोलो
पीछे-पीछे बोलिए
क्या हम हैं तोते ?

माफ़ करो जी, माफ़ करो
जाकर कुर्सियाँ साफ़ करो
और अगर हो गई देर
फिर तेरा क्या होगा, शमशेर
टीचर जी आएँगे
झिड़कियाँ ख़ूब सुनाएँगे

भागो-भागो, जाओ-जाओ
चलो, यहाँ से दूर हो जाओ
हम भी चिकने घड़े हैं
हम ही क्या यहाँ खड़े हैं ?

 मूल पंजाबी से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यही कविता मूल पंजाबी में पढ़िए
             ਸੁਰਜੀਤ ਪਾਤਰ
            ਭਾਰੇ ਭਾਰੇ ਬਸਤੇ

ਭਾਰੇ ਭਾਰੇ ਬਸਤੇ
ਲੰਮੇ ਲੰਮੇ ਰਸਤੇ
ਥੱਕ ਗਏ ਨੇ ਗੋਡੇ
ਦੁਖਣ ਲੱਗ ਪਏ ਮੋਢੇ
ਐਨਾ ਭਾਰ ਚੁਕਾਇਆ ਏ
ਅਸੀਂ ਕੋਈ ਖੋਤੇ ਆਂ ?

ਟੀਚਰ ਜੀ ਆਉਣਗੇ
ਆ ਕੇ ਹੁਕਮ ਸੁਣਾਉਣਗੇ :
ਚਲੋ ਕਿਤਾਬਾਂ ਖੋਲ੍ਹੋ
ਪਿੱਛੇ ਪਿੱਛੇ ਬੋਲੋ ।
ਪਿੱਛੇ ਪਿੱਛੇ ਬੋਲੀਏ
ਅਸੀਂ ਕੋਈ ਤੋਤੇ ਆਂ ?

ਚਲੋ ਚਲੋ ਜੀ ਚੱਲੀਏ
ਜਾ ਕੇ ਸੀਟਾਂ ਮੱਲੀਏ
ਜੇਕਰ ਹੋ ਗਈ ਦੇਰ
ਕੀ ਹੋਵੇਗਾ ਫੇਰ
ਟੀਚਰ ਜੀ ਆਉਣਗੇ
ਝਿੜਕਾਂ ਖ਼ੂਬ ਸੁਣਾਉਣਗੇ

ਤੁਰੇ ਹੀ ਤਾਂ ਜਾਨੇ ਆਂ
ਅਸੀਂ ਕੋਈ ਖੜੋਤੇ ਆਂ ?