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"सर ये फोड़िए / जॉन एलिया" के अवतरणों में अंतर

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सर ये फोड़िए नदामत में
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सर ही अब फोड़िए नदामत में
नीन्द आने लगी है फुरसत में  
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वो खला है कि सोचता हूँ मैं
 
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उससे क्या गुफ्तगू हो खलबत में  
 
उससे क्या गुफ्तगू हो खलबत में  
  
मेरे कमरे का क्या बया कि यहाँ
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कौन थूका गया शरारत में   
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रूह ने इश्क का फरेब दिया  
 
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तो जो तामीर होने वाली थी  
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लग गई आग उस इमारत में
 
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09:19, 12 दिसम्बर 2010 का अवतरण

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सर ही अब फोड़िए नदामत में
नीन्द आने लगी है फुरकत में

वो खला है कि सोचता हूँ मैं
उससे क्या गुफ्तगू हो खलबत में

मेरे कमरे का क्या बया कि जहाँ
खून थूका गया शरारत में

रूह ने इश्क का फरेब दिया
ज़िस्म को ज़िस्म की अदावत में

अब फकत आदतो की वर्जिश है
रूह शामिल नहीं शिकायत में

ये कुछ आसान तो नहीं है कि हम
रूठते अब भी है मुर्रबत में

वो जो तामीर होने वाली थी
लग गई आग उस इमारत में

ऐ खुदा जो कही नहीं मौज़ूद
क्या लिखा है हमारी किस्मत में

ज़िन्दगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मुहब्बत में