भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हालत-ए-हाल के सबब हालत-ए-हाल ही गई / जॉन एलिया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
हालत-ए-हाल के सबब हालत-ए-हाल ही गई  
 
हालत-ए-हाल के सबब हालत-ए-हाल ही गई  
 
शौक़ में कुछ नहीं गया शौक़ की ज़िंदगी गई
 
शौक़ में कुछ नहीं गया शौक़ की ज़िंदगी गई
 
उसके उम्मीदे नाज़ का हमसे ये मान था की आप
 
उम्र गुज़ार दीजिये, उम्र गुज़ार दी गयी
 
 
तेरा फिराक़ जान-ए-जां ऐश था क्या मेरे लिए
 
यानी तेरे फिराक़ में खूब शराब पी गई
 
 
तेरे विसाल के लिए अपने कमाल के लिए
 
हालत-ए-दिल कह थी खराब और खराब की गई
 
  
 
एक ही हादसा तो है और वो यह कह आज तक
 
एक ही हादसा तो है और वो यह कह आज तक
पंक्ति 22: पंक्ति 13:
 
बाद भी तेरे जान-ए-जां दिल में रहा अजब समाँ
 
बाद भी तेरे जान-ए-जां दिल में रहा अजब समाँ
 
याद रही तेरी यहाँ फिर तेरी याद भी गई
 
याद रही तेरी यहाँ फिर तेरी याद भी गई
 +
 +
सैने ख्याल-ए-यार में की ना बसर शब्-ए-फिराक
 +
जबसे वो चांदना गया तबसे वोह चांदनी गयी     
 +
 +
उसके बदन को दी नुमूद हमने सुखन में और फिर
 +
उसके बदन के वास्ते एक कबा भी सी गयी
 +
 +
उसके उम्मीदे नाज़ का हमसे ये मान था की आप
 +
उम्र गुज़ार दीजिये, उम्र गुज़ार दी गयी
 +
 +
उसके विसाल के लिए अपने कमाल के लिए
 +
हालत-ए-दिल की थी खराब और खराब की गई
 +
 +
तेरा फिराक़ जान-ए-जां ऐश था क्या मेरे लिए
 +
यानी तेरे फिराक़ में खूब शराब पी गई
  
 
उसकी गली से उठके मैं आन पड़ा था अपने घर
 
उसकी गली से उठके मैं आन पड़ा था अपने घर
इक गली की बात थी और गली गली गयी
+
एक गली की बात थी और गली गली गयी
 
</poem>
 
</poem>

09:49, 12 दिसम्बर 2010 का अवतरण

यदि इस वीडियो के साथ कोई समस्या है तो
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें

हालत-ए-हाल के सबब हालत-ए-हाल ही गई
शौक़ में कुछ नहीं गया शौक़ की ज़िंदगी गई

एक ही हादसा तो है और वो यह कह आज तक
बात नहीं कही गई बात नहीं सुनी गई

बाद भी तेरे जान-ए-जां दिल में रहा अजब समाँ
याद रही तेरी यहाँ फिर तेरी याद भी गई

सैने ख्याल-ए-यार में की ना बसर शब्-ए-फिराक
जबसे वो चांदना गया तबसे वोह चांदनी गयी

उसके बदन को दी नुमूद हमने सुखन में और फिर
उसके बदन के वास्ते एक कबा भी सी गयी

उसके उम्मीदे नाज़ का हमसे ये मान था की आप
उम्र गुज़ार दीजिये, उम्र गुज़ार दी गयी

उसके विसाल के लिए अपने कमाल के लिए
हालत-ए-दिल की थी खराब और खराब की गई

तेरा फिराक़ जान-ए-जां ऐश था क्या मेरे लिए
यानी तेरे फिराक़ में खूब शराब पी गई

उसकी गली से उठके मैं आन पड़ा था अपने घर
एक गली की बात थी और गली गली गयी