भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दे रहा हूँ शुभकामनाएँ/ प्रदीप मिश्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: <poem>'''दे रहा हूँ शुभकामनाएँ''' बच्चों की मुस्कान को किसानों के खलिहा…)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
<poem>'''दे रहा हूँ शुभकामनाएँ'''
+
{{KKGlobal}}
 
+
{{KKRachna
 
+
|रचनाकार=प्रदीप मिश्र
 +
|संग्रह=
 +
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
बच्चों की मुस्कान को
 
बच्चों की मुस्कान को
 
किसानों के खलिहान को
 
किसानों के खलिहान को
पंक्ति 15: पंक्ति 19:
 
                 दे रहा हूँ शुभकामनाएँ।
 
                 दे रहा हूँ शुभकामनाएँ।
  
प्रेम के उफान को
+
प्रेम के उफ़ान को
 
हृदय की जुबान को
 
हृदय की जुबान को
 
संस्कृति की आन को
 
संस्कृति की आन को
 
धर्म के इमान को
 
धर्म के इमान को
दे रहा हूँ शुभकामनाएँÄ
+
                दे रहा हूँ शुभकामनाएँ ।
  
 
कलैण्डर के दिनमान को
 
कलैण्डर के दिनमान को
पंक्ति 25: पंक्ति 29:
 
भविष्य के अनुमान को
 
भविष्य के अनुमान को
 
भोर के अनुसंधान को
 
भोर के अनुसंधान को
               दे रहा हूँ शुभकामनाएँ।
+
               दे रहा हूँ शुभकामनाएँ ।
+
 
</poem>
 
</poem>

22:38, 13 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण

बच्चों की मुस्कान को
किसानों के खलिहान को
औरतों के आसमान को
चिड़ियों की उड़ान को
                 दे रहा हूँ शुभकामनाएँ।


देश के विधान को
संसद के ईमान को
जीवन के संविधान को
मनुष्य के सम्मान को
                 दे रहा हूँ शुभकामनाएँ।

प्रेम के उफ़ान को
हृदय की जुबान को
संस्कृति की आन को
धर्म के इमान को
                 दे रहा हूँ शुभकामनाएँ ।

कलैण्डर के दिनमान को
इतिहास के वर्तमान को
भविष्य के अनुमान को
भोर के अनुसंधान को
               दे रहा हूँ शुभकामनाएँ ।