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"मैं ख़ुशबू हूँ , बिखरना चाहती हूँ / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर
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13:16, 14 दिसम्बर 2010 का अवतरण
कहाँ बनना, संवरना चाहती हूँ
मैं ख़ुशबू हूँ, बिखरना चाहती हूँ
अब उसके क़तिलाना ग़म से कह दूँ
मैं अपनी मौत मरना चाहती हूँ
हर इक ख्वाहिश, ख़ुशी और मुस्कराहट
किसी के नाम करना चाहती हूँ
गुहर मिल जाए शायद, सोच कर, फिर
समुन्दर में उतरना चाहती हूँ
सभी से मश्वरे लेने का मतलब
मैं अपने दिल की करना चाहती हूँ
है रहता मुझमें आवारा परिंदा
मैं उसके पर कतरना चाहती हूँ
कोई बतलाए क्या है मेरी मंज़िल
थकी हूँ, अब ठहरना चाहती हूँ