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"क्या दुनिया भी मर जाएगी कुछ / हालीना पोस्वियातोव्स्का" के अवतरणों में अंतर

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लोमड़ी की खाल का एक रोआँ भर हूँ बस्स  
 
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13:26, 14 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: हालीना पोस्वियातोव्स्का  » क्या दुनिया भी मर जाएगी कुछ

क्या दुनिया भी मर जाएगी कुछ
जब मरूँगी मैं ?

देख रही हूँ मैं
दुनिया चल रही है अपनी गति से
लोमड़ी की खाल में लिपटी

लोमड़ी की खाल का एक रोआँ भर हूँ बस्स
कभी यह सोच भी न पाई थी मैं

मैं हमेशा यहीं रही
और वह रहा वहाँ पर

लेकिन फिर भी
यह सोचना अच्छा लगता है
कि दुनिया भी मर जाएगी कुछ
जब मर जाऊँगी मैं

रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय