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"आज हर सम्त भागते है लोग / शीन काफ़ निज़ाम" के अवतरणों में अंतर

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गोया चौराहा हो गये है लोग
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जाने कैसे टिके हुए है लोग
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खुद को कमरों में ढूंढते है लोग
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खुद को कमरों में ढूँढते हैं लोग
  
 
बंद रह रह के अपने कमरों में
 
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टेबिलों पर खुले खुले है लोग
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ले के बारूद का बदन यारो !
 
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आग लेने निकल पड़े है लोग
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आज कितने बुझे बुझे है लोग
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रेस्त्ररानों की शक्लें कह देगी
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हर तरफ़ इक धुआँ-सा उठता है
और क्या सोचते रहे है लोग
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आज कितने बुझे-बुझे हैं लोग
  
रास्ते किस के पांव से उलझें
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रेस्त्ररानों की शक्लें कह देंगी
खूंटियों पर टंगे हुए है लोग
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और क्या सोचते रहे हैं लोग
  
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खूँटियों पर टँगे हुए हैं लोग
 
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00:33, 15 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण

आज हर सम्त भागते हैं लोग
गोया चौराहा हो गये हैं लोग

हर तरफ से मुडे़-तुडे़ हैं लोग
जाने कैसे टिके हुए हैं लोग

अपनी पहचान भीड़ में खो कर
खुद को कमरों में ढूँढते हैं लोग

बंद रह रह के अपने कमरों में
टेबिलों पर खुले-खुले हैं लोग

ले के बारूद का बदन यारो !
आग लेने निकल पड़े हैं लोग

हर तरफ़ इक धुआँ-सा उठता है
आज कितने बुझे-बुझे हैं लोग

रेस्त्ररानों की शक्लें कह देंगी
और क्या सोचते रहे हैं लोग

रास्ते किस के पाँव से उलझें
खूँटियों पर टँगे हुए हैं लोग