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"मैं ख़ुशबू हूँ , बिखरना चाहती हूँ / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर

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कहाँ बनना, संवरना चाहती हूँ
 
कहाँ बनना, संवरना चाहती हूँ
मैं ख़ुशबू हूँ, बिखरना चाहती हूँ
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मैं ख़ुशबू हूँ, बिखरना चाहती हूँ
  
अब उसके क़तिलाना ग़म से कह दूँ
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अब उसके क़तिलाना ग़म से कह दो
मैं अपनी मौत मरना चाहती हूँ
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मैं अपनी मौत मरना चाहती हूँ
  
 
हर इक ख्वाहिश, ख़ुशी और मुस्कराहट
 
हर इक ख्वाहिश, ख़ुशी और मुस्कराहट
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समुन्दर में उतरना चाहती हूँ
 
समुन्दर में उतरना चाहती हूँ
  
सभी से मश्वरे लेने का मतलब
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ज़माना चाहता है और ही कुछ
 
मैं अपने दिल की करना चाहती हूँ  
 
मैं अपने दिल की करना चाहती हूँ  
  
है रहता मुझमें आवारा परिंदा
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है आवारा ख़यालों के परिंदे
मैं उसके पर कतरना चाहती हूँ
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मैं इनके पर कतरना चाहती हूँ  
  
 
कोई बतलाए क्या है मेरी मंज़िल
 
कोई बतलाए क्या है मेरी मंज़िल
 
थकी हूँ, अब ठहरना चाहती हूँ
 
थकी हूँ, अब ठहरना चाहती हूँ
 
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10:55, 15 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण

कहाँ बनना, संवरना चाहती हूँ
मैं ख़ुशबू हूँ, बिखरना चाहती हूँ

अब उसके क़तिलाना ग़म से कह दो
मैं अपनी मौत मरना चाहती हूँ

हर इक ख्वाहिश, ख़ुशी और मुस्कराहट
किसी के नाम करना चाहती हूँ

गुहर मिल जाए शायद, सोच कर, फिर
समुन्दर में उतरना चाहती हूँ

ज़माना चाहता है और ही कुछ
मैं अपने दिल की करना चाहती हूँ

है आवारा ख़यालों के परिंदे
मैं इनके पर कतरना चाहती हूँ

कोई बतलाए क्या है मेरी मंज़िल
थकी हूँ, अब ठहरना चाहती हूँ