भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अब कोई दोस्त नया क्या करना / शीन काफ़ निज़ाम" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शीन काफ़ निज़ाम |संग्रह=सायों के साए में / शीन का…) |
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=शीन काफ़ निज़ाम | |रचनाकार=शीन काफ़ निज़ाम | ||
− | |संग्रह=सायों के साए में / शीन काफ़ निज़ाम | + | |संग्रह=सायों के साए में / शीन काफ़ निज़ाम; रास्ता ये कहीं नही जाता / शीन काफ़ निज़ाम |
}} | }} | ||
{{KKCatGhazal}} | {{KKCatGhazal}} |
13:53, 15 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण
अब कोई दोस्त नया क्या करना
भर गया ज़ख्म हरा क्या करना
उस से अब ज़िक्रे-वफ़ा क्या करना
हौसला हार गया क्या करना
वो भी दुश्मन तो नहीं है अपना
अपने ही हक में दुआ क्या करना
याद जो आये भुलाते रहना
अब हमें इस के सिवा क्या करना
शोर कितना था सुनाता किस को
और अब शोर बपा क्या करना
जिस को मुँह का भी कहा याद नहीं
उस के हाथों का लिखा क्या करना
जब तू ही मिल न सका मुझ को 'निज़ाम'
मिल गई खल्क़े ख़ुदा क्या करना