"अव्वल अव्वल की दोस्ती है अभी / फ़राज़" के अवतरणों में अंतर
Bohra.sankalp (चर्चा | योगदान) |
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मैं भी ऐसा कहाँ का ज़ूद शनास | मैं भी ऐसा कहाँ का ज़ूद शनास | ||
− | वो भी लगता है सोचती है | + | वो भी लगता है सोचती है अभी |
− | दिल की | + | दिल की वारफ़तगी है अपनी जगह |
फिर भी कुछ एहतियात सी है अभी | फिर भी कुछ एहतियात सी है अभी | ||
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बूंदा-बांदी भी धूप भी है अभी | बूंदा-बांदी भी धूप भी है अभी | ||
− | + | ख़ुद-कलामी में कब ये नशा था | |
जिस तरह रु-ब-रू कोई है अभी | जिस तरह रु-ब-रू कोई है अभी | ||
− | + | क़ुरबतें लाख खूबसूरत हों | |
दूरियों में भी दिलकशी है अभी | दूरियों में भी दिलकशी है अभी | ||
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किसको सौगात भेजती है अभी | किसको सौगात भेजती है अभी | ||
− | + | रात किस माह -वश की चाहत में | |
− | + | शब्नमिस्तान सजा रही है अभी | |
− | मुद्दतें हो गईं फ़राज़ मगर | + | मैं भी किस वादी-ए-ख़याल में था |
+ | बर्फ़ सी दिल पे गिर रही है अभी | ||
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+ | मैं तो समझा था भर चुके सब ज़ख़्म | ||
+ | दाग़ शायद कोई कोई है अभी | ||
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+ | दूर देशों से काले कोसों से | ||
+ | कोई आवाज़ आ रही है अभी | ||
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+ | ज़िन्दगी कु-ए-ना-मुरादी से | ||
+ | किसको मुड़ मुड़ के देखती है अभी | ||
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+ | इस क़दर खीच गयी है जान की कमान | ||
+ | ऐसा लगता है टूटती है अभी | ||
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+ | ऐसा लगता है ख़ल्वत-ए-जान में | ||
+ | वो जो इक शख़्स था वोही है अभी | ||
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+ | मुद्दतें हो गईं 'फ़राज़' मगर | ||
वो जो दीवानगी थी, वही है अभी | वो जो दीवानगी थी, वही है अभी | ||
13:53, 17 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण
अव्वल अव्वल की दोस्ती है अभी
इक ग़ज़ल है कि हो रही है अभी
मैं भी शहरे-वफ़ा में नौवारिद
वो भी रुक रुक के चल रही है अभी
मैं भी ऐसा कहाँ का ज़ूद शनास
वो भी लगता है सोचती है अभी
दिल की वारफ़तगी है अपनी जगह
फिर भी कुछ एहतियात सी है अभी
गरचे पहला सा इज्तिनाब नहीं
फिर भी कम कम सुपुर्दगी है अभी
कैसा मौसम है कुछ नहीं खुलता
बूंदा-बांदी भी धूप भी है अभी
ख़ुद-कलामी में कब ये नशा था
जिस तरह रु-ब-रू कोई है अभी
क़ुरबतें लाख खूबसूरत हों
दूरियों में भी दिलकशी है अभी
फ़सले-गुल में बहार पहला गुलाब
किस की ज़ुल्फ़ों में टांकती है अभी
सुबह नारंज के शिगूफ़ों की
किसको सौगात भेजती है अभी
रात किस माह -वश की चाहत में
शब्नमिस्तान सजा रही है अभी
मैं भी किस वादी-ए-ख़याल में था
बर्फ़ सी दिल पे गिर रही है अभी
मैं तो समझा था भर चुके सब ज़ख़्म
दाग़ शायद कोई कोई है अभी
दूर देशों से काले कोसों से
कोई आवाज़ आ रही है अभी
ज़िन्दगी कु-ए-ना-मुरादी से
किसको मुड़ मुड़ के देखती है अभी
इस क़दर खीच गयी है जान की कमान
ऐसा लगता है टूटती है अभी
ऐसा लगता है ख़ल्वत-ए-जान में
वो जो इक शख़्स था वोही है अभी
मुद्दतें हो गईं 'फ़राज़' मगर
वो जो दीवानगी थी, वही है अभी
नौवारिद - नया आने वाला, ज़ूद-शनास - जल्दी पहचानने वाला
वारफतगी - खोया खोयापन, इज्तिनाब - घृणा, अलगाव
सुपुर्दगी - सौंपना, खुदकलामी - खुद से बातचीत, शिगूफ़े- फूल, कलियां
चश्मे-पुर-खूं - खून से भरी हुई आँख
आबे-जमजम - मक्के का पवित्र पानी
अबस - बेकार, सानी - बराबर, दूसरा
कामत - लम्बे शरीर वाला (यहाँ कयामत/ज़ुल्म ढाने वाले से मतलब है)