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"सितारे लटके हुए हैं तागों से आस्माँ पर/ गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर

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सितारे लटके हुए हैं तागों से आस्माँ पर
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<poem>सितारे लटके हुए हैं तागों से आस्माँ पर
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चमकती चिंगारियाँ-सी चकरा रहीं आँखों की पुतलियों में
 
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नज़र पे चिपके हुए हैं कुछ चिकने-चिकने से रोशनी के धब्बे
 
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जो पलकें मुँदूँ तो चुभने लगती हैं रोशनी की सफ़ेद किरचें
 
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मुझे मेरे मखमली अँधेरों की गोद में डाल दो उठाकर
 
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चटकती आँखों पे घुप अँधेरों के फाये रख दो
 
चटकती आँखों पे घुप अँधेरों के फाये रख दो
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यह रोशनी का उबलता लावा न अन्धा कर दे.
 
यह रोशनी का उबलता लावा न अन्धा कर दे.
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19:13, 23 दिसम्बर 2010 का अवतरण

सितारे लटके हुए हैं तागों से आस्माँ पर

चमकती चिंगारियाँ-सी चकरा रहीं आँखों की पुतलियों में

नज़र पे चिपके हुए हैं कुछ चिकने-चिकने से रोशनी के धब्बे

जो पलकें मुँदूँ तो चुभने लगती हैं रोशनी की सफ़ेद किरचें


मुझे मेरे मखमली अँधेरों की गोद में डाल दो उठाकर

चटकती आँखों पे घुप अँधेरों के फाये रख दो

यह रोशनी का उबलता लावा न अन्धा कर दे.