"वो तफ़व्वुतें हैं मेरे खुदा कि ये तू नहीं कोई और है / फ़राज़" के अवतरणों में अंतर
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− | + | वो तफ़व्वुतें हैं मेरे खुदा कि ये तू नहीं कोई और है<br> | |
− | कि तू | + | कि तू आसमां पे हो तो हो, पये सरे जमीं कोई और है<br><br> |
− | + | वो जो रास्ते थे, वफ़ा के थे, ये जो मन्जिलें है, सजा की हैं<br> | |
− | वो जो रास्ते थे वफ़ा के थे ये जो | + | मेरा हमसफ़र कोई और था मेरा हमनशीं कोई और है<br><br> |
− | मेरा हमसफ़र कोई और था मेरा हमनशीं कोई और है <br><br> | + | मेरे जिस्मों जान में तेरे सिवा नहीं और कोई दूसरा<br> |
− | + | मुझे फिर भी लगता है इस तरह कि कहीं कहीं कोई और है<br><br> | |
− | मेरे | + | मैं असीर अपने गिजाल का, मैं फ़कीर दश्ते विसाल का<br> |
− | मुझे फिर भी लगता है इस तरह कि कहीं कहीं कोई और है <br><br> | + | जो हिरन को बांध के ले गया वो सुबुक्तगीन कोई और है<br><br> |
− | + | मैं अजब मुसाफिर ए बेईमान, कि जहां जहां भी गया वहां<br> | |
− | मैं असीर अपने | + | मुझे लगा कि मेरा खाकदान, ये जमीं नहीं कोई और है<br><br> |
− | जो हिरन को | + | रहे बेखबर मेरे यार तक, कभी इस पे शक, कभी उस पे शक<br> |
+ | मेरे जी को जिसकी रही ललक, वो कमर जबीं कोई और है<br><br> | ||
+ | ये जो चार दिन के नदीं हैं इन्हे क्या ’फ़राज़’ कोई कहे<br> | ||
+ | वो मोहब्बतें, वो शिकायतें, मुझे जिससे थी, वो कोई और है.<br><br> |
13:45, 26 सितम्बर 2008 का अवतरण
वो तफ़व्वुतें हैं मेरे खुदा कि ये तू नहीं कोई और है
कि तू आसमां पे हो तो हो, पये सरे जमीं कोई और है
वो जो रास्ते थे, वफ़ा के थे, ये जो मन्जिलें है, सजा की हैं
मेरा हमसफ़र कोई और था मेरा हमनशीं कोई और है
मेरे जिस्मों जान में तेरे सिवा नहीं और कोई दूसरा
मुझे फिर भी लगता है इस तरह कि कहीं कहीं कोई और है
मैं असीर अपने गिजाल का, मैं फ़कीर दश्ते विसाल का
जो हिरन को बांध के ले गया वो सुबुक्तगीन कोई और है
मैं अजब मुसाफिर ए बेईमान, कि जहां जहां भी गया वहां
मुझे लगा कि मेरा खाकदान, ये जमीं नहीं कोई और है
रहे बेखबर मेरे यार तक, कभी इस पे शक, कभी उस पे शक
मेरे जी को जिसकी रही ललक, वो कमर जबीं कोई और है
ये जो चार दिन के नदीं हैं इन्हे क्या ’फ़राज़’ कोई कहे
वो मोहब्बतें, वो शिकायतें, मुझे जिससे थी, वो कोई और है.