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"महफ़िल में तनहा रहता हूँ / कुमार अनिल" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: <poem>महफ़िल में तन्हा रहता हूँ देखो मै क्या क्या सहता हूँ जब पुख्ता …)
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21:28, 29 दिसम्बर 2010 का अवतरण

महफ़िल में तन्हा रहता हूँ
देखो मै क्या क्या सहता हूँ

जब पुख्ता बुनियाद है मेरी
फिर क्यों खंडहर सा ढहता हूँ

लफ्फाजों की इस दुनिया में
इक मैं हूँ जो सच कहता हूँ

तुम हँसते हो फूलों जैसे
मैं आँसू आँसू बहता हूँ

बाहर से हूँ ठंडा- ठंडा
अन्दर से कितना दहता हूँ