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<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक :महबूब-ए-मुल्क की हवा बदल रही है<br>
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<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक : नये साल की पहली सुबह<br>
&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[पवन कुमार मिश्र]]</td>
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&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[नीलाभ]]</td>
 
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महबूब-ए-मुल्क की हवा बदल रही है,
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नये साल की पहली सुबह तुम्हें क्या दूं मैं ?
ताजीरात-ए-हिंद की दफ़ा बदल रही है.
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एक फूल अमन के लिए,
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एक बन्दूक आज़ादी के लिए,
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एक किताब संग-साथ के लिए ?
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तुम्हारी आंखों के लिए नयी चमक ?
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तुम्हारे ख़ून के लिए नयी गरमी,
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तुम्हरे प्रेम के लिए नयी नरमी,
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दिल के लिए नयी आशा, संघर्ष के लिए नयी भाषा ?
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नये वर्ष में दूर हों ग़म,
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नये वर्ष में मिटें सितम,
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नये वर्ष में दुख हों कम,
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सिर झुकें नहीं, बांहें थकें नहीं,
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टूटें सभी बेड़ियां, मिले नया दम ।
  
अस्मत लुटी अवाम की कहकहो के साथ,
 
और अफज़लो की सज़ा बदल रही है.
 
 
बारूदी बू आ रही है नर्म हवाओ में,
 
कोयल की भी मीठी ज़बाँ बदल रही है.
 
 
सुबह की हवाख़ोरी भी हुई मुश्किल,
 
जलते हुए टायर से सबा बदल रही है.
 
 
सियासत ने हर पाक को नापाक कर दिया,
 
पंडित की पूजा मुल्ला की अजाँ बदल रही है.
 
 
कहने को वह दिल हमी से लगाए है,
 
मगर मुहब्बत की वज़ा बदल रही है.
 
 
दुआ करो चमन की हिफ़ाजत के वास्ते,
 
बागबानो की अब रजा बदल रही है।
 
 
निगहबानी करना बच्चो की ऐ खुदा,
 
दहशत में मेरे शहर की फ़ज़ा बदल रही है.
 
 
 
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20:26, 31 दिसम्बर 2010 का अवतरण

Lotus-48x48.png  सप्ताह की कविता   शीर्षक : नये साल की पहली सुबह
  रचनाकार: नीलाभ
नये साल की पहली सुबह तुम्हें क्या दूं मैं ?
एक फूल अमन के लिए,
एक बन्दूक आज़ादी के लिए, 
एक किताब संग-साथ के लिए ?
तुम्हारी आंखों के लिए नयी चमक ?
तुम्हारे ख़ून के लिए नयी गरमी, 
तुम्हरे प्रेम के लिए नयी नरमी,
दिल के लिए नयी आशा, संघर्ष के लिए नयी भाषा ?
नये वर्ष में दूर हों ग़म,
नये वर्ष में मिटें सितम,
नये वर्ष में दुख हों कम,
सिर झुकें नहीं, बांहें थकें नहीं,
टूटें सभी बेड़ियां, मिले नया दम ।