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"त्रासदी के गुरगो संभलो तुम / लाला जगदलपुरी" के अवतरणों में अंतर

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09:26, 3 जनवरी 2011 का अवतरण

सांसों की गलियो, संभलो तुम,
आशा की कलियो, संभलो तुम!

बगिया में नीरस फूल तथा
कैक्टस हैं अलियो, संभलो तुम!

उन्हें रिझाया कोलाहल नें,
स्नेह की अंजलियो, संभलो तुम!

बुझा न दे तुम्हें कहीं आँसू
रोशनी के टुकडो, संभलो तुम!

सहानुभूतियों को पहिचानो
त्रासदी के गुरगो, संभलो तुम!