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"तुमने हँस के जो देखा जरा सा मुझे / कुमार अनिल" के अवतरणों में अंतर
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एक पल के लिए भी जो रूठ गए | एक पल के लिए भी जो रूठ गए | ||
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सुख के-दुख के यूँ शेर मिले, | सुख के-दुख के यूँ शेर मिले, | ||
ज़िन्दगी एक मुकम्मल ग़ज़ल हो गई । | ज़िन्दगी एक मुकम्मल ग़ज़ल हो गई । | ||
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20:21, 4 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
तुमने हँस के जो देखा ज़रा-सा मुझे,
हर तरफ़ चाँदनी की फ़सल हो गई ।
एक पल के लिए भी जो रूठ गए
अपनी साँस भी मुझको गरल हो गई ।
तुम हमसे मिले, मिल कर बिछुड़े,
हमें कविता की भाषा सरल हो गई ।
सुख के-दुख के यूँ शेर मिले,
ज़िन्दगी एक मुकम्मल ग़ज़ल हो गई ।