भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मैं हूँ तेरी यादें हैं सागर का किनारा है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
SATISH SHUKLA (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna | रचनाकार=सतीश शुक्ला 'रक़ीब' | संग्रह = }} {{KKCatGeet}} <poem> मैं हूँ त…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:19, 6 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
मैं हूँ तेरी यादें हैं सागर का किनारा है
आ मेरे गले लग जा पानी ने पुकारा है
है दूर बहुत मुझसे तू पास नहीं लेकिन
कुछ आस मिलन की है कुछ आस नहीं लेकिन
फीका तेरे बिन जानम हर एक नज़ारा है
मैं हूँ तेरी यादें हैं सागर का किनारा है......
सागर में उठी मौजें आ तुझको बुलाती हैं
पानी में उठी लहरें मन मेरा जलाती हैं
जीते जी मुझे तेरी तन्हाई ने मारा है
मैं हूँ तेरी यादें हैं सागर का किनारा है......
सोचा है मोहब्बत की अब हद से गुज़र जाऊँ
पानी का कहा मानू सागर में उतर जाऊँ
मेरे लिए अब जीवन शोला है शरारा है
मैं हूँ तेरी यादें हैं सागर का किनारा है
आ मेरे गले लग जा पानी ने पुकारा है