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"तेरी यादें हैं सहारा मेरी तन्हाई का / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर
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00:47, 7 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
तेरी यादें हैं सहारा मेरी तन्हाई का
"भूलता ही नहीं आलम तेरी अंगड़ाई का"
ज़िक्र पर मेरे सहेली से कहा ये उसने
तज़करा मुझसे न करना किसी हरजाई का
प्यार सागर से भी गहरा है ज़माने वालो
फ़लसफ़ा समझो अगर प्यार की गहराई का
मेरे मातम पे हँसी मेरी उड़ाने वाले
टूट जाए न कहीं सुर तेरी शहनाई का
दोस्तो, ऐसी हर इक बज़्म को है मेरा सलाम
दिल जहाँ तोड़ दिया जाए तमन्नाई का
ये अलग बात है उससे नहीं बनती मेरी
मेरा दुश्मन है, जो दुश्मन है मेरे भाई का
कर दूँ इज़हार मुहब्बत का तेरी मैं तो 'रक़ीब'
खौफ़ है मुझको मगर प्यार की रुसवाई का