"सदस्य:Satish verma" के अवतरणों में अंतर
Satish verma (चर्चा | योगदान) छो (नया पृष्ठ: क्षय शाँति की कीमत होती है यादृच्छिक इच्छाशक्…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
09:23, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
क्षय
शाँति की कीमत होती है यादृच्छिक इच्छाशक्ति के समुद्र द्वारा घुटने घुटने गहरे खारे कीचड़ों में धकेली हुई ध्वंस के बाद, हस्ती में हस्ती ताकि असहमति ज़िन्दा रहे
मुझे बताओ मृत्यु के बीच में तुम रोशनी की चाप में कैसे पहुँचे रक्तिम जल की ठन्डी खुशियाँ में डुबकी लगाते हुए? प्रचलित निवर्तन अन्तहीन गिनतियों को छितरा गया है अनन्त क्षणों में
स्थायित्व और कपट की बात करें, एक ही चेहरा एक वक्त में दो कैनवसों में विद्यमान था, समुद्री शैवाल में अवसाद विजयी हो रहा था और वृक्षीय चाँद के लिये रात बूँद बूँद झर रही थी
जब पक्षियों के घरौदों में भविष्य आयेगा तो में कोयल के अन्डे ढूँढूगा, इससे पहिले मैं तुम्हें दुबारा जान सकूँ एक छिपे हुए चुम्बन के लिये कीटभक्षी वीनस फ्लाईट्रेप अपना मधु ग्रन्थियाँ खोल देगी
सतीश वर्मा