भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हे मेरी तुम (कविता) / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ …) |
छो ("हे मेरी तुम (कविता) / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
(कोई अंतर नहीं)
|
09:26, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
हे मेरी तुम!
बीज (जन्म देने का कारण) कहाँ हमारा?
क्या जानेगा कोई ज्ञाता, पंडित, ज्ञानी!
मैं कहता हूँ;
वह त्रिकाल है, जिसने हमको जन्म दिया है;
और उसी में हम रहते हैं, लय रहते हैं।
जन्म-मरण का कोई कारण और नहीं है॥
रचनाकाल: २५-०३-१९५८