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"नहीं सुनता आदमी / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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नहीं सुनता आदमी
दिन में आदमी की बातें
रात में सुनते हैं मुरदे
मुरदों की बातें।

रचनाकाल: ०७-११-१९६४