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"शराब जो आँख में है / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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14:22, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

शराब
जो आँख में है
उसे पी है जिसने
उसका नशा
आग में है
जो लगी है
पलास के वन में
मेरे मन में

रचनाकाल: १०-०३-१९६७