भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आग / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ …) |
छो ("आग / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:31, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
कुछ है
इस जंगल में
सिवाय जंगल के
जो है आग है
सब के लिए
सिवाय सरकार के लिए
जो न बुझी
भभकी
फिर भभकी
प्रतिकार के लिए
अस्तित्व के अधिकार के लिए
रचनाकाल: २५-१०-१९६७